Geeta Ji Ki Aarti

 Geeta Ji Ki Aarti



जय गीता माता ॐ जय गीता माता।  
जो हृदयंगम करता , वंशित फल पाता। 
योगेशवर मुख वाणी , तुम हो कलयाणी।  
अर्जुन शोक निवारण तुम हो प्रख्याता। 
सुख सुशांती विस्तारिणी तुम हो दुःखहत्रि।  
रजतम तेमेर विनाशक भक्ति दाता। 
वेदत्रयी सबरूपिणी, कलिमल अधहारी।  
शुभ सन्मार्ग प्रदर्शक , त्रिभुवन विखयाता। 
आरती मातु तुम्हारी जो सप्रेम गाता।  
सो नर से नारायण , मोहन हो जाता। 

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