Chal Chaliye Darbar Vaishno Rani ke Bhajan

 Chal Chaliye Darbar Vaishno Rani ke



चल चलिये दरबार , वैष्णो रानी के ,

जगदम्बा जग जननी , आद भवानी के।

    वो क्या है………. एक मंदिर है ,

    उस मंदिर में……….  पहला दर्शन है ,

    इस को कौल कंदोली कहते है ,

    कई यहाँ पर झोली भर कर लेते हैं ,

    चल फिर चल के , पहला दर्शन पा लईये ,

    यात्रा वाला , आद गणेश , मना लईये,

चल चलिये दरबार , वैष्णो रानी के ,

जगदम्बा जग जननी , आद भवानी के।

   वो क्या है………. इक घाटी है ,

    उस घाटी में………. दूसरा दर्शन है ,

    क्या , ये ही देवा भाई है ,

    इसकी महिमा किसी ने नहीं पायी है ,

    कर हिम्मत कर दूजा दर्शन पा लईये,

    देवा दे दरबार हाजरी ला लईये,

चल चलिये दरबार , वैष्णो रानी के ,

जगदम्बा जग जननी , आद भवानी के।

        वो क्या है……….  ये कटड़ा है,

    इस कटड़े में………. कई डरे हैं ,

    यही रहन बसेरा होता है ,

    हर यात्री , रत भर सोता है।

चल चलिये दरबार, वैष्णो रानी के ,

जगदम्बा जग जननी , आद भवानी के।

     ये क्या है……….  वाण गंगा है ,

     इस गंगा का……….  जल अमृत है ,

     सनान यहाँ का कैसा है ,

     स्वर्गों के नजरों , जैसा है।

    चल चलिये दरबार, वैष्णो रानी के ,

   जगदम्बा जग जननी , आद भवानी के।

     वो क्या है………. एक मंदिर है ,

     उस मंदिर में………. तीसरा दर्शन है,

     यह चरण , पादका कहांदी है ,

     साडी संगत, शीश झुकाती है।

     चलो हम भी शीश झुका लईये ,

     चरणों में जा कर दिल की अर्ज सुना लईये ,

चल चलिये दरबार, वैष्णो रानी के ,

जगदम्बा जग जननी , आद भवानी के।

     ये क्या है……….  ये भी मंदिर है ,

     इस मंदिर में……….  चौथा दर्शन है

     क्या ये आदकवारी है,

     दे दी हाजरी खलकत सारी है ,

चल चलिये दरबार, वैष्णो रानी के ,

जगदम्बा जग जननी , आद भवानी के।

     वो क्या है……….  वो पर्वत है ,

     उस पर्वत की……….  राह मुश्किल है ,

     इसे हाथी मत्था कहते हैं

     सभ रुक- रुक कर साँस लेते है ,

जय माता , जय देवा, कहन्दे चल चलिये ,

भवन ते जान्दी संगत के साथ , जा मिलिये।

          यह क्या है……….  भैरों मंदिर ह।

     उस मंदिर की……….  इक उलझन है ,

     पहले माई परसी जांदी है ,

     फिर संगत , यहाँ पर आती है ,

     नीची नजरों करके, यहाँ से चल जाइये,

     पहले जा के माता के दर्शन पाइये,

     वो क्या है सुन्दर भवन आता है,

     उस भवन में तीन पिण्डिया हैं ,

    तीनो सरस्वती काली दुर्गा है ,

    चल चल के माँ को अरदास सुना लईये।    

 

 

 

 

 

 

    

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