Karwa Chauth Vrat , Significance , Muhurat

Karwa Chauth significance , Muhurt , Kahani  



कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्थी रविवार को यानी करवा चौथ को पांच साल बाद विशिष्ट संयोग बन रहे हैं। सबसे बड़े सुहाग पर्व पर रोहिणी नक्षत्र होगा। इसी संयोग में सुहागिन पति के दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए चंद्रमा को अर्घ्य देंगीं। करवाचौथ को करक चतुर्थी और दशरथ चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है।

करवाचौथ शुभ मुहूर्त

कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि प्रारंभ-

रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट

चतुर्थी तिथि समापन - सोमवार सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक ।

चंद्रोदय का समय- 8 बजकर 09 मिनट पर

करवाचौथ पूजन : शुभ मुहूर्त रविवार शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा।

करवा चौथ व्रत पूजा का महत्त्व

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। यह व्रत सौभाग्य, सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन शिव परिवार और भगवान गणपति की पूजा करनी चाहिए।अपनी पत्नी रोहिणी के साथ दिखाई देंगे चंद्र देव मान्यताओं के अनुसार चंद्रमा की 27 पत्नियों में सबसे प्रिय रोहिणी के साथ होने से यह योग बन रहा है। चंद्रमा का उदय रोहिणी नक्षत्र का होना अपने आप में एक अद्भुत संयोग है। रात 1 बजकर 02 मिनट तक रोहिणी नक्षत्र रहेगा।

इस करवा चौथ पर है शुभ मुहूर्त खास

24 अक्टूबर रविवार शाम 5:43 बजे से रात्रि 8:54 बजे तक शुभामृत योग में पूजा स्थल पर करवा चौथ की कथा व पूजन तथा उसके पश्चात अमृत योग में चंद्रमा को अर्घ्य दिए जाने का मुहूर्त है। सूर्य राहु के नक्षत्र स्वाति में प्रातः 6:13 पर आ जाएंगे। इस प्रकार यह सुसंयोग रुके हुए कार्यों को गति देने का बन जाएगा।

करवा चौथ पूजन मुहूर्त -

अमृत मुहूर्त - 10:40 से 12:05 तक कुलदेवता/ कुलदेवी पूजन

शुभ मुहूर्त - 1:29 से 2:54 तक शिव परिवार पूजन

सायं :- शुभ मुहूर्त- 5:43 से 7:18 तक करवा चौथ कथा पूजन

अमृत मुहूर्त- 7:18 से 8:54 तक - इंद्र इंद्राणी, चंद्र पूजन

क्यों मनाई जाती है करवा चौथ

करवा चौथ के व्रत और पूजा को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं।  कहा जाता है कि जब सत्यवान की आत्मा को लेने के लिए यमराज धरती पर आए तो सत्यवान की पत्नी सावित्री ने उनसे अपने पति के प्राणों की भीख मांगी और निवेदन किया कि वह उसके सु​हाग को न लेकर जाएं।  लेकिन यमराज ने उसकी बात नहीं मानी, जिसके बाद सावित्री ने अन्न —जल त्याग दिया और अपने पति के शरीर के पास बैठकर विलाप करने लगी। 

 पतिव्रता सावित्री के इस तरह विलाप करने से यमराज पिघल गए और उन्होंने सावित्री से कहा कि वह अपने पति सत्यवान के जीवन की बजाय कोई और वर मांग ले। 

सावित्री ने यमराज से कहा कि मझे कई संतानों की मां बनने का वर दें और यमराज ने भी हां कह दिया।  पतिव्रता होने के नाते सावित्रि अपने पति सत्यवान के अतिरिक्त किसी और के बारे में सोच भी नहीं सकती थी।  जिसके बाद यमराज ने वचन में बंधने के कारण सावित्री को सत्यवान का जीवन सौंप दिया।  कहा जाता है कि तभी से सुहागिनें अपने पति की लंबी उम्र और अपने अखंड सौभाग्य के लिए अन्न—जल त्यागकर करवा चौथ के दिन व्रत करती हैं। 

करवा चौथ की एक और कहानी महाभारत में द्रोपदी जो पांच पांडवों की पत्नी है , उनसे जुडी हुई है।  कहा जाता है कि जब अर्जुन नीलगिरी की पहाड़ियों में घोर तपस्या के लिए गए थे और बाकी चारों पांडवों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।  द्रौपदी ने यह परेशानी भगवान श्रीकृष्ण को बताई और अपने पतियों के मान-सम्मान की रक्षा का उपाय पूछा।  भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ का व्रत रखने की सलाह दी , जिसके फलस्वरूप अर्जुन सकुशल वापस आए और बाकी पांडवों के सम्मान को भी कोई हानि नहीं हुई। 

करवा चौथ की कहानी 

बहुत समय पहले की बात है , एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन थी , जिसका नाम करवा था। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे।  यहाँ तक कि वे पहले उससे खाना खिलते और बाद में स्वयं कहते थे। फिर करवा बड़ी हुई और उसकी शादी हो गयी । वो अपने पहला करवा चौथ कि लिए अपने माईके आयी और सुबह जल्दी उठ कर सरगी खायी और फिर निर्जला व्रत रखा। 

शाम को भाई जब अपने व्यापार बंद करके घर आए तो उन्होंने देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी।  सभी भाई जब खाना खाने बैठे तब उन्होंने अपनी बहन करवा को बुलाया पर उनकी बहन ने खाना खाने से मना कर दिआ। फिर भाइयों ने बहन से पूछा क्या बात है आज खाना खाने से मना कर रही हो , फिर बहन ने बताया कि आज उसका करवा चौथ का चौथ का व्रत का नीरजला व्रत है।  वो खाना चन्दर्मा को देख कर उससे अरग देकर फर ही खायेगी। अभी तक चन्दर्मा नई निकला है , इसलिए वह भूख - प्यास से व्याकुल हो उठी है। 

सबसे छोटे भाई से अपनी बहन की ऐसी हालत देखी नहीं जा रही थी। फिर सभी भाइयों ने साथ मिलके १ उपाए निकला। सातों भाई अपने खेत जाते है और वहां पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देते है। ऐसा लगता है के जैसे चाँद निकल आया हो। फिर वह अपनी बहन को छत पर लेकर जाते है और उससे बोलते है के बहन चाँद आ गया तो वो बोलती है के भाभी वहद निकल आया तो माँ ने करवा से बोलै यह चाँद सिर्फ तेरे लिए निकला है।  तो वो पूछती है के मोहल्ले में कोई औरत नहीं आयी अरग देने के लिए तो माँ ने बोला कि उनका चन्द्रमा नहीं निकला। फिर करवा ने ख़ुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चाँद को देखती है , उससे अरग देकर खाना खाने बैठ जाती है। 

वह पहला टुकड़ा मुँह में डाला तो उससे शिंक आ गयी।  दूसरा टुकड़ा ड़ालते ही तो उससे बाल निकल आया और फिर तीसरा टुकड़ा ड़ालते ही उसके पति की मृत्यु का समाचार उससे मिलता है। तो करवा भुखला जाती है। फिर उससे उसकी बड़ी भाभी उससे बताती है के उसके साथ ऐसा क्यों हुआ।  करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारन देवता उससे नाराज हो गए। फिर करवा सोचती है के वो अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। फिर करवा जंगल में अपनी पति को ले गयी तो वहां उससे माता मिलती है जो उससे आशिर्बाद देती है के सदा सुहागन रहो फिर करवा उससे सारी बात बताती है के उसके साथ क्या हुआ ? फर वो माता उससे बोलती है के उसकी छोटी बहन आ रही है उससे ये वरदान मांग लेना तो वो तुम्हे आशिर्बाद देगी और फेर तेरा सुहाग जीवत हो जायेगा। फिर वो माता आयी उनके पैर पर चोट लग जाती है तो करवा उनके पैर पर पट्टी करती है तो उससे माता जी को आराम मिलता है। वो माता जी बोलते है के बताओ बेटी तुजे क्या चाहिए तो करवा बोलती है के मुझे मेरा सुहाग देदो तो माता जी बोलते है के तू सुहागनों के तरह करवा चौथ का व्रत करना और थाली मिनसना और अपने पति के पास बैठ कर जप करना। करवा चौथ का व्रत आया और उसने सुहागनों की तरह निर्जला व्रत किआ और जप किआ तो उसकी भगति देख कर यमराज उनके पति को नहीं लेकर गए और उससे जीवत कर गए। फिर करवा का पति श्री श्री गणेश कहता हुआ उठ जाता है।  इस प्रकार प्रभु से उसको आशिर्बाद मिलता है और इसका सुहाग उससे वापिस मिल जाता है। 

हे! श्री गणेश - माँ गोरी जिस प्रकार करवा को सुहागन का वरदान आपसे मिला है।  वैसे ही सभी सुहागनों को मिले। 

करवा चौथ का व्रत रख कर भूल कर भी न करे ये  काम

१ व्रत की शुरुआत सूर्यउदये के साथ ही होती है, इसलिए भूल कर भी न सोये। 

२ पूजा पाठ में भूरे , काले और नीले रंग के कपडे पहनना अशुभ माना जाता है , हो सके तो इस दिन लाल रंग के कपडे ही पहने। क्यूंकि लाल रंग प्यार का प्रतीक है और पति - पत्नी के इस प्रेम के प्रतीक व्रत में लाल रंग आपसी प्रेम को और बढ़ाएगा। 

३ इस पवित्र दिन न तो खुद सोएं और न ही किसी सोये हुए व्यक्ति को जगाएं ।  मान्यता है कि करवाचौथ के दिन किसी भी सोते हुए व्यक्ति को नींद से जगाना अशुभ माना जाता है। 

४ करवा चौथ पर सास द्वारा दी गई सरगी शुभ मानी जाती है। व्रत शरू होने से पहले सास अपनी बहु को कुछ मिठाइएं , कपडे और श्रृंगार का सामान देती है।  इस दिन सूर्य उद्देय से पहले ही सरगी का भोजन करें और फिर पुरे दिन निर्जला व्रत रहकर पति की लम्बी उम्र के लिए कामना करें। 

५ इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं को अपनी भाषा पर निंयत्रण रखना चाहिए। महिलाएं को इस दिन घर में बड़े का अपमान नहीं करना चाहिए।  अपने पति के साथ भी प्रेम के साथ रहना चाहिए। 

६ शास्त्रों में कहा जाता है कि करवाचौथ व्रत रखने के बाद आपस में झगड़ा नहीं करना चाहिए। कहते है जो झगड़ा करते है उन्हें व्रत का फल प्रपात नहीं होता। 

७ कहा जाता है के इस दिन चिट्टी चीज़ का दान भूल कर भी न करें जैसे चीटे कपडे , सफेद मिठाई , दूध , चावल , दही अदि को भूल कर  भी किसी को न दें। 


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