Maa Jagdambey ji ki Aarti
Maa Jagdambey ji ki Aarti
माँ जगदम्बे जी की आरती ।
आरती जग जननी तेरी मैं गाउन।
तुम बिन कौन सुने बरदाती।
किसको जा कर विनय सुनाऊँ।
असुरों ने देवों को सताया।
तुमने रूप धरा महा माया।
उसी रूप के दर्शन मैं चाऊ।
रक्तवीज मधु कैटभ मारे।
अपने भक्तों के काज सँवारे।
मैं भी तेरा दास कहउँ।
आरती जग जननी तेरी मैं गाउन।
आरती तेरी करूँ बरदाती।
हृदय का दीपक नैनों के बाती।
निसदिन प्रेम की ज्योत जगाऊँ।
आरती जग जननी तेरी मैं गाउन।
धयानु भक्त तुमरा यश गया।
इस धयाया माता फल पाया।
मैं भी तेरे दर सीस झुकाऊं।
आरती जग जननी तेरी मैं गाउन।
तुम बिन कौन सुने बरदाती।
आरती तेरी जो कोई गावे।
'चमन' सभी सुख सम्पति पावे।
मईया चरण कमल रज चाहूँ ।
आरती जग जननी तेरी मैं गाउन।
तुम बिन कौन सुने बरदाती।
जिससे तेरी कृपा का अनुभव हुआ है।
वही दुनिया में उज्वल हुआ है।
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